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क्षणोक्षणी आठवण येते अन जातेया आठवणिला तरी काही कळते
कधी त्रास देते तर कधी छळते
कधी पाकळ्यांप्रमाणे गळते
तर कधी फ़ुलाप्रमाणे फ़ुलते
ही आठवण अशी का वागते
जणू सुखद क्षणांमधून चमकते
कधी अश्रुंच्या धारांमधून वाहते
-----प्रथमेश दिवेकर
ई-मेल फॉरवर्ड - आभार - लेखक/ कवी
nadkhula kavita aahet
उत्तर द्याहटवाKhup chan kavita aahet mala khup aavadalya aapla kam asach chalu rahude majya subhechya aaplya barobar kayam asatil
उत्तर द्याहटवाKhup chan
उत्तर द्याहटवाAtishay uttam kavita ahet. Wachtana aksharsha manun swatala wisrun jatt..
उत्तर द्याहटवाkharch khup chhan